रुद्राक्ष की पहचान करने के आसान तरिके | How Identify Real Rudraksha

रुद्राक्ष की पहचान

यदि आप अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के समस्याओं से परेशान हैं दैनिक रूप से अपने जीवन में सफल होने के लिए जितना भी हो सकता है, उतना कठिन परिश्रम करते हैं फिर भी आपको परिश्रम के अनुसार फल प्राप्त नहीं हो रहा है अर्थात जिस प्रकार से आप मेहनत करते हैं, उसके अनुसार आपको अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है तथा आप विभिन्न प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं और इन समस्याओं से बचने के लिए आप ने विभिन्न प्रयास भी किए हैं, किंतु आपको सफलता नहीं प्राप्त हुई है, तो आपको बहुत अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज हम आपको रुद्राक्ष के बारे में जानकारी देंगे, जो आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। किंतु कई बार ऐसा होता है कि हमारी तरफ से भी धारण करते हैं फिर भी हमें कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम रुद्राक्ष की पहचान करके असली रुद्राक्ष नहीं धारण करते हैं, इसलिए जब भी रुद्राक्ष धारण करें यह जरूर सुनिश्चित करें कि यह रुद्राक्ष असली है या नकली इसके लिए आप किसी रुद्राक्ष के जानकार व्यक्ति की सलाह ले सकते हैं या फिर विभिन्न विधियों द्वारा रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं। इसके अलावा आधुनिक समय में विभिन्न लेबोरेटरी में रुद्राक्ष का परीक्षण किया जाता है वहां से परीक्षण के पश्चात आप रुद्राक्ष ले सकते हैं।

जिस प्रकार आप किसी भी बीमारी से बचने के लिए दवा का प्रयोग करते हैं, किंतु यदि वह दवा असली नहीं होती है तो आपको उससे लाभ प्राप्त नहीं होता है, इसलिए किसी भी बीमारी से बचने के लिए असली दवा का प्रयोग किया जाता है। उसी प्रकार यदि आप रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको असली रुद्राक्ष की पहचान करके असली रुद्राक्ष ही धारण करना चाहिए क्योंकि यदि आप असली रुद्राक्ष धारण नहीं करते हैं, तो आपको रुद्राक्ष धारण करने का कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है।

रुद्राक्ष की उत्पत्ति की मुख्य धार्मिक कथा

रुद्राक्ष की उत्पत्ति के संबंध में हिंदू धार्मिक कथाओं में प्रचलित है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आसुओ से उत्पन्न हुआ है किंतु भगवान शिव के आंखों से आंसुओं की उत्पत्ति क्यों हुई इसके बारे में बहुत कम जगह पर जानकारी मिलती है। इसलिए आज हम आपको भगवान शिव के आंखों में आंसुओं की उत्पत्ति के बारे में जानकारी देंगे जिससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई ऐसा माना जाता है, कि पृथ्वी पर प्राचीन काल में एक राजा हुए जिनका नाम दक्ष था जिनकी पुत्री सती भगवान शिव की अनन्य उपासक थी तथा वह उनसे शादी करना चाहती थी। वह राजा दक्ष को पसंद नहीं था किंतु सती ने भगवान शिव से विवाह कर लिया इसके पश्चात राजा दक्ष ने एक अश्वमेध यज्ञ किया जिसमें पृथ्वी पर उपस्थित सभी लोगों को आमंत्रण दिया गया, किंतु भगवान शिव व सती को आमंत्रित नहीं किया गया, किंतु फिर भी भगवान शिव के मना करने के पश्चात भी माता सती अपने पिता के घर अश्वमेध यज्ञ में शामिल होने के लिए पहुंच गए।

वहां पर उनके पिता के द्वारा उनकी तथा भगवान शिव का अपमान किया गया जिसे वह सहन नहीं कर पाई और वही यज्ञ कुंड में कूदकर भस्म हो गई उसके पश्चात भगवान शिव को इस बात का जब पता चला तो उन्होंने अगर चले माता सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव मचा दिया। सभी देवी देवता भयभीत हो गए किंतु भगवान विष्णु ने माता सती के शोक से भगवान शंकर को दूर करने के लिए माता सती के अपने चक्र से 51 टुकड़े कर दिए जिसके शोक में भगवान शंकर व्याकुल हो गए और उनके आंखों से आंसू गिरने लगे जो पृथ्वी पर विभिन्न क्षेत्रों में गिरे और होने से रुद्राक्ष के वनों की उत्पत्ति हुई।

सामान्य रूप से इलियोकार्पस गेनिट्रस नामक पौधे के फलों के बीजों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति होती है, जो विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक तथा औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, सामान्य परिस्थितियों में रुद्राक्ष को एक उत्तम बीज माना जाता है। जिसमें विभिन्न प्रकार के गैसीय तथा धातु तत्व होते हैं जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए अर्थात विभिन्न प्रकार के रोगों से बचने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्लोरिडा की एक जांच में पाया गया कि रुद्राक्ष में डाई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तत्व होते हैं जो शरीर में रक्त संचार को संतुलित करने के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष में एंटीसेप्टिक एंटीबायोटिक तथा anti-inflammatory गुण पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर से विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने में सहयोग करते हैं किंतु उपरोक्त सभी लाभ तथा गुणों को प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष की पहचान करके असली रुद्राक्ष प्रयोग में लाना बहुत ही आवश्यक होता है।

रुद्राक्ष की पहचान का महत्त्व

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष धारण करने के लिए रुद्राक्ष की पहचान करना बहुत ही महत्व पूर्ण होता है, क्यों की यदि आप रुद्राक्ष का लाभ पाना चाहते हैं तो असली रुद्राक्ष धरण करना बहुत ही आवश्याक है क्योंकि यदि आपको रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करना है तो आपको असली रुद्राक्ष धारण करने की आवश्यकता है और असली रुद्राक्ष में इस सकारात्मक ऊर्जा होती है तथा औषधीय गुण होते हैं, इसलिए असली रुद्राक्ष हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। यदि आप नकली रुद्राक्ष धारण करते हैं तो उसे धारण करने से आपको कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है तथा आपका रुद्राक्ष धारण करना व्यर्थ हो जाता है, इसलिए असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए आप किसी रुद्राक्ष के जानकार व्यक्ति की सहायता ले सकते हैं या फिर रुद्राक्ष लेने के पश्चात किसी लेबोरेटरी में उसका टेस्ट करा सकते हैं और आधुनिक समय में विभिन्न संस्थाओं द्वारा सर्टिफिकेट के साथ रुद्राक्ष उपलब्ध कराया जाता है, जो असली होने का प्रमाण पत्र होता है।

यह सब इसलिए आवश्यक है क्योंकि आधुनिक समय में बाजार में बहुत सारे नकली रुद्राक्ष उपलब्ध हैं जो बिल्कुल असली रुद्राक्ष की तरह ही दिखाई देते हैं, किंतु वास्तविक रूप में नकली रुद्राक्ष होते हैं जिसके कारण यदि आप धारण करते हैं, तो आपको कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता है। इसलिए रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष की पहचान करके रुद्राक्ष को विधि विधान पूर्वक धारण करना बहुत ही उपयोगी होता है, जिससे आपके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। रुद्राक्ष की पहचान करने की निम्नलिखित विधियां हैं

  • सरसों के तेल द्वारा रुद्राक्ष की पहचान।
  • सिक्कों द्वारा रुद्राक्ष की पहचान।
  • गर्म पानी द्वारा रुद्राक्ष की पहचान।
  • ठंडे पानी में रुद्राक्ष की पहचान।
  • खुरेच  कर रुद्राक्ष की पहचान।
  • रुद्राक्ष की आकृति द्वारा रुद्राक्ष की पहचान।
  • लैबोरेट्री टेस्ट द्वारा रुद्राक्ष की पहचान।

सरसों के तेल द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

सरसों के तेल द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

रुद्राक्ष को प्राप्त करने के लिए आप रुद्राक्ष को विभिन्न तरीके से जांच सकते हैं, यदि आप असली rudraksh ki pahachan करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालने पर रुद्राक्ष का रंग पहले से हल्का गाढ़ा हो जाता है, किंतु इससे किसी प्रकार का कोई रंग छूटता नहीं है यदि आपने रुद्राक्ष को तेल में डाला है और इससे रंग निकल रहा है या किसी अन्य प्रकार का परिवर्तन दिखाई देता है, तो यह नकली रुद्राक्ष है। किंतु यदि इसके आकार तथा रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है केवल तेल की वजह से या हल्का सा गहरे भूरे रंग का हो जाता है, तो यह असली रुद्राक्ष माना जाता है इस प्रकार आप सरसों के तेल द्वारा रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं।

सिक्कों द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

सिक्कों द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

असली रुद्राक्ष की पहचान 2 सिक्कों द्वारा भी की जाती है रुद्राक्ष में मैग्नेटिक गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण यदि रुद्राक्ष को 2 सिक्कों के बीच रखा जाता है तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा होने के कारण रुद्राक्ष में मोमेंट दिखाई देता है,  जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह  रुद्राक्ष असली है यदि आप असली रुद्राक्ष की पहचान करना चाहते हैं, तो आपको दो सिक्के लेने की आवश्यकता है और दोनों सिक्कों के मध्य एक शुद्ध रुद्राक्ष पर रखते हैं यदि रुद्राक्ष असली होता है, तो दो सिक्कों के बीच रखते हैं वह थोड़ा सा घूम जाता है जिससे इसके इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण की पहचान होती है  और जिस रुद्राक्ष में डायरेक्टर मैग्नेटिक गुण होते हैं। वह रुद्राक्ष असली रुद्राक्ष होता है और जिस रुद्राक्ष में सिक्कों के बीच रखने पर कोई मोमेंट दिखाई नहीं देता है वह रुद्राक्ष नकली रुद्राक्ष होता है जिसे भद्राक्ष भी कहा जाता है।

गर्म पानी द्वारा रुद्राक्ष की पहचान 

गर्म पानी द्वारा रुद्राक्ष की पहचान 

गरम पानी के द्वारा रुद्राक्ष के असली होने की पहचान करना सबसे आसान तरीका माना जाता है। यदि आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं और आपको असली रुद्राक्ष की पहचान करनी है तो आप करो पानी द्वारा असली rudraksh ki pahachan कर सकते हैं, इसके लिए आप गर्म उबलते हुए पानी में रुद्राक्ष को डालते हैं तो रुद्राक्ष के रंग तथा रूप में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो निश्चित रूप से है या असली रुद्राक्ष होता है और यदि इसके रंग में या आकार में किसी प्रकार का परिवर्तन होता है, तो यह नकली रुद्राक्ष होता है क्योंकि आधुनिक समय में बहुत सारे रुद्राक्ष प्लास्टिक के बने होते हैं जो बिल्कुल असली रुद्राक्ष की तरह दिखाई देते हैं। यदि उनको गर्म पानी में डालते हैं तो वह रंग छोड़ देते हैं तथा उनके आकार में परिवर्तन हो जाता है जिससे असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान की जा सकती है और इस प्रकार आप असली रुद्राक्ष की पहचान करने के पश्चात नकली रुद्राक्ष धारण करने से बच सकते हैं।

ठंडे पानी में रुद्राक्ष की पहचान

पानी

यदि आप सामान्य पानी या ठंडे पानी में रुद्राक्ष की पहचान करना चाहते हैं तो आपको एक गिलास पानी को लेना है किंतु ध्यान रहे कि ग्लास कांच का होना चाहिए, जिसमें पानी पारदर्शी रूप में स्पष्ट दिखाई देता हो। इसलिए आपको एक पारदर्शी कांच के गिलास में पानी लेना है और उसमें रुद्राक्ष को धीरे से डालना है अब आपको रुद्राक्ष के डूबने की गति को जांचना है। जब आप ध्यान से देखते हैं तो असली रुद्राक्ष पानी मे तैरते हुए धीरे-धीरे पानी के गिलास की निचली सतह पर बैठ जाता है। वहीं यदि यह रुद्राक्ष नकली होता है तो वह बहुत तेजी से पानी की निचली सतह पर बैठ जाएगा इस प्रकार आप सामान्य पानी से भी रुद्राक्ष के असली और नकली होने की पहचान कर सकते हैं और बड़ी आसानी से असली रुद्राक्ष पहचान करके उसे धारण करने के पश्चात उसके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।

खुरेच  कर रुद्राक्ष की पहचान

असली rudraksh ki pahachan करने का एक आसान तरीका और है जिसमें रुद्राक्ष को किसी नुकीली वस्तु से धीरे-धीरे खुरेचते हैं, तो रुद्राक्ष है दो प्रकार के पदार्थ प्राप्त होते हैं पहला अधिक रेसे प्राप्त होते हैं, तो रुद्राक्ष को असली माना जाता है वहीं दूसरी तरफ यदि प्लास्टिक जैसा चूर्ण प्राप्त होता है, तो उसे नकली रुद्राक्ष माना जाता है क्योंकि नकली रुद्राक्ष प्लास्टिक से बने होते हैं, जिसके कारण उनसे प्लास्टिक का चूर्ण प्राप्त होता है और असली रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से फलों के बीज होते हैं। इसलिए बीजों से रेशे निकलते हैं जो रुद्राक्ष के असली होने का प्रमाण होते हैं, इसलिए यदि आप असली रुद्राक्ष की पहचान करना चाहते हैं, तो रुद्राक्ष को खुरेचकर उसकी जानकारी ले सकते हैं और असली रुद्राक्ष का प्रयोग करते हुए अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राक्ष की आकृति द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

रुद्राक्ष की आकृति द्वारा

प्रत्येक रुद्राक्ष की अपनी एक विशेष आकृति होती है जिसके कारण rudraksh ki pahachan की जाती है। एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर पृथ्वी पर उपलब्ध सभी प्रकार के रुद्राक्ष की आकृति अलग-अलग होती है, यह रुद्राक्ष की सतह पर बने रेखाओं द्वारा विभाजित होते हैं जिनके कारण रुद्राक्ष को अलग-अलग मुखों के रुद्राक्ष में विभाजित किया जाता है तथा पहचान की जाती है, जो भी रुद्राक्ष कितने मुखी होता है उस रुद्राक्ष में उतनी ही विभाजन रेखाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं और यह रेखाएं कटी फटी नहीं होती हैं और रुद्राक्ष पर बने सभी उभार अलग-अलग होते हैं। यदि एक सामान उभार दिखाई देते हैं तो यह रुद्राक्ष नकली हो सकता है असली रुद्राक्ष में सभी उभार अलग-अलग होते हैं तथा रुद्राक्ष स्पष्ट विभाजन रेखाओं द्वारा विभाजित होता है, जिससे इसके एक मुख से 14 मुख की पहचान की जाती है इसलिए यदि आप असली रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो आप रुद्राक्ष की आकृति तथा उस पर बनी रेखाओं द्वारा उसकी पहचान कर सकते हैं। इसी तरह 1 मुखी, 2 मुखी, 3 मुखी, 4 मुखी तथा 5 मुखी रुद्राक्ष के साथ सभी रुद्राक्ष की पहचान की जा सकती है। 

लैबोरेट्री टेस्ट द्वारा रुद्राक्ष की पहचान

आधुनिक समय में जब व्यक्ति का रुझान आयुर्वेदिक औषधियों तथा पदार्थों की तरफ से अधिक गया है, तो वह शुद्ध आयुर्वेदिक चीजों को ग्रहण करना चाहता है इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में लेबोरेटरी खुल गए हैं जो विभिन्न खाद्य पदार्थों तथा अन्य वस्तुओं की जांच करके उसका सर्टिफिकेट उपलब्ध कराते हैं। इसी प्रकार असली रुद्राक्ष की पहचान करने के लिए भी लैबोरेट्री टेस्ट किया जाता है, जिसमें रुद्राक्ष के असली और नकली होने की प्रामाणिकता साबित होती है और उस संस्था द्वारा लैबोरेट्री टेस्ट का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, इसलिए यह पहचान सबसे उत्तम पहचान मानी जाती है यदि आप असली रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं जिससे आपको रुद्राक्ष धारण करने के लाभ प्राप्त हो सके तो आप रुद्राक्ष को खरीदकर उसे लैबोरेट्री टेस्ट करा सकते हैं, जहां से आपको रुद्राक्ष के बारे में पूरी जानकारी दे दी जाएगी जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकती है। इसलिए असली रुद्राक्ष प्राप्त करने के लिए लैबोरेट्री टेस्ट तथा उसका सर्टिफिकेट बहुत ही आवश्यक है। 

निष्कर्ष

यदि हमें किसी भी परेशानी से बचना होता है तो हमें उस परेशानी से बचने का हल ढूंढना होता है और उस हल में प्रयोग होने वाली चीज है जब असली होती हैं तभी हमें उसका लाभ प्राप्त होता है। इसलिए यदि आप रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके पास असली रुद्राक्ष होना बहुत ही आवश्यक होता है, इसलिए असली रुद्राक्ष की पहचान करके असली रुद्राक्ष का ही प्रयोग करना चाहिए। उपरोक्त लेख में असली रुद्राक्ष की पहचान करने के विभिन्न तरीके बताए गए हैं जिनको अपनाकर आप असली rudraksh ki pahachan कर सकते हैं तथा असली रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, जिससे आपको रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त होते हैं और आपका जीवन सुख तथा समृद्धि पूर्वक व्यतीत होता है। रुद्राक्ष में विभिन्न प्रकार के औषधीय तथा अन्य विभिन्न गुण होते हैं जो रुद्राक्ष को एक दैवीय फल का रूप प्रदान करते हैं क्योंकि रुद्राक्ष लाभकारी गुणों के कारण इसका प्रयोग करने वाले व्यक्ति को इसके बहुत अधिक फायदे प्राप्त होते हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति रुद्राक्ष की पहचान करके असली रुद्राक्ष धारण करता है और रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करता है। 

लोगों द्वारापूछे गए प्रश्न

कैसे पता करें कि रुद्राक्ष असली है?

असली रुद्राक्ष की जांच करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए जा सकते हैं, किंतु लैबोरेट्री टेस्ट द्वारा ही असली रुद्राक्ष की पहचान की प्रमाणित जांच की जा सकती है। इसलिए यदि आप असली रुद्राक्ष की पहचान करना चाहते हैं तो आपको लैबोरेट्री टेस्ट कराने की आवश्यकता होती है, इसके अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के तरीके उपरोक्त लेख में बताए गए हैं जिनके द्वारा असली रुद्राक्ष की पहचान की जा सकती है किंतु यह पहचान 100% सही नहीं हो सकती है क्योंकि इसका कोई प्रमाणिक तथ्य उपलब्ध नहीं है।

रुद्राक्ष के मुख की पहचान कैसे करें?

रुद्राक्ष के मुख्य की पहचान करने के लिए रुद्राक्ष में बनी रुद्राक्ष की विभाजन रेखा को गिन कर की जा सकती है जिस रुद्राक्ष में जितनी विभाजन रेखाएं होती हैं वह रुद्राक्ष कितने मुखी रुद्राक्ष होता है, इसलिए यदि आप रुद्राक्ष मुखों की पहचान करना चाहते हैं तो आप रुद्राक्ष पर बने प्राकृतिक रूप से रेखाओं की गिनती कर सकते हैं। 

सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है?

विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष विभिन्न कार्यों के लिए प्रयोग किए जाते हैं इसलिए प्रत्येक कार्य के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष अलग-अलग प्रकार से कार्य करते हैं प्रत्येक कार्य के लिए प्रत्येक रुद्राक्ष अच्छा होता है इसलिए अपने अपने कार्यों को सिद्ध करने के लिए सभी रुद्राक्ष अच्छे होते हैं किंतु सबसे शक्तिशाली रुद्राक्ष एक मुखी रुद्राक्ष माना जाता है जो कि दुर्लभ रुद्राक्ष की श्रेणी में आता है।

असली पंचमुखी रुद्राक्ष की कीमत क्या है?

असली 5 मुखी रुद्राक्ष की कीमत अलग-अलग विक्रेताओं तथा अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग हो सकती है और 5 मुखी रुद्राक्ष की कीमत उसके आकार पर भी निर्भर करती है, आकार के अनुसार कीमत कम ज्यादा हो सकती है इसलिए कीमत का अनुमान करना बड़ा मुश्किल है, किंतु उच्चतम क्वालिटी के नेपाली रुद्राक्ष की कीमत लगभग 1000 से ₹5000 तक हो सकती है।

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