गले में रुद्राक्ष पहन रहें हैं तो ना करें ये गलती क्यों की हो सकता है बड़ा नुकसान

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष देवों के देव महादेव को बहुत अधिक प्रिय माना जाता है इसलिए रुद्राक्ष को एक शक्तिशाली पदार्थ के रूप में माना जाता है इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों तथा समस्याओं को ठीक करने के बारे में भी सलाह दी जाती हैं धार्मिक मान्यता तथा पूजनीय होने के कारण यदि आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो इसके लाभ प्राप्त करने के लिए आप इसे धारण कर सकते हैं किंतु अगर आप पहन रहे हैं गले में रुद्राक्ष तुम ना करें ये गलतियां जो आपको रुद्राक्ष के विपरीत प्रभाव के रूप में कुछ कष्ट भी दे सकती हैं अर्थात रुद्राक्ष को धारण करने के बाद कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए जिनको करने से रुद्राक्ष के फल प्राप्त नहीं होते हैं और रुद्राक्ष का हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण हमें विभिन्न प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसलिए रुद्राक्ष को जब भी धारण करें उसे विधि विधान द्वारा पूजा करने के पश्चात ही धारण करना चाहिए या फिर किसी ज्योतिषी या पंडित की सहायता से रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए जिससे आपको इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सके और आपके जीवन में सुख समृद्धि तथा सफलता प्राप्त हो सके। 

रुद्राक्ष (Rudraksh) क्या है?

गले में रुद्राक्ष

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष को भगवान शिव का एक अंश माना जाता है धार्मिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव माता पार्वती के रूप में तपस्या कर रहे थे उस समय उनकी आंखों से आँसुओ की कुछ बूँदे पृथ्वी पर गिरी जिससे रुद्राक्ष के वनों की उत्पत्ति हुई इन वनों की उत्पत्ति कैलाश पर्वत के आसपास तथा नेपाल मे हु इसके अलावा रुद्राक्ष के वन दक्षिण भारत तथा इंडोनेशिया में पाए जाते है किन्तु सबसे अच्छे रुद्राक्ष नेपाल मे पाए जाते हैं नेपाल में पाए जाने वाले सभी रुद्राक्ष आकार मे बड़े तथा अधिक ऊर्जा वाले होते हैं इसलिए इन रुद्राक्षों का महत्व अधिक माना जाता है जानकारों का मानना है की जो रुद्राक्ष आकार में जितना बड़ा होता है वह उतना अधिक शक्तिशाली होता है जिससे नेपाली रुद्राक्ष का महत्व बढ़ जाता है और यही कारण है की नेपाली रुद्राक्ष का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्लोरिडा के शोध मे यह पाया गया है की रुद्राक्ष मे बहुत अधिक मात्रा में गैसीय तथा धातुई तत्व पाए जाते हैं जिनमें  कार्बन 50.031 %, हाईड्रोजन 17.897 %, नाइट्रोजन 0.095 %, आक्सीजन 30.453% इसके अतिरिक्त एल्युमिनियम, कैल्शियम, तांबा, कोबाल्ट, तांबा, आयरन के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं।

रुद्राक्ष के प्रति धार्मिक आस्था का महत्व

रुद्राक्ष के प्रति धार्मिक आस्था का महत्व

रुद्राक्ष को भारत में एक धार्मिक महत्व दिया जाता है क्योंकि रुद्राक्ष का वर्णन हमारे धार्मिक पुस्तकों शिव पुराण आदि में पाया जाता है इसलिए रुद्राक्ष को हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजनीय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष के रूप में भगवान शिव का अंश पृथ्वी पर उपलब्ध है जो शिव भक्तों की रक्षा करता है तथा जो भी शिव भक्त रुद्राक्ष धारण करता है। भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं तथा उसे प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्रदान करते हैं। इसलिए आधुनिक समय में प्रत्येक शिवभक्त रुद्राक्ष धारण करता है, रुद्राक्ष को भगवान शिव के अंग का आभूषण माना जाता है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए जो भी शिव भक्त रुद्राक्ष धारण करता है उसे भगवान शिव सभी प्रकार के सुख संपत्ति प्रदान करते हैं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव के समान ही पवित्र होता है, इसलिए रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें ना करने की सलाह दी जाती है और रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे विधिपूर्वक पूजा ध्यान के नियम द्वारा ही धारण किया जाता है, जिससे रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को शुभ फल प्रदान करता है। इसलिए यदि आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए या विभिन्न प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए अगर पहन रहे हैं गले में रुद्राक्ष तो ना करें यह गलती जिससे आपको रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त हो सके। यदि आप किसी ज्योतिषी या जानकार व्यक्ति के सहायता से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो इसके आपको निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होते हैं। 

अगर पहन रहें हैं गले में रुद्राक्ष तो ना करें ये गलती

यदि आपने रुद्राक्ष धारण किया है तो निश्चित रूप से ही आपको हिंदू धार्मिक देवी देवताओं पर आस्था है और आप भगवान शिव को भी मानते हैं और यदि आप हिंदू धर्म से जुड़े हुए हैं और रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो आपको हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तथा अपनी कुंडली व राशि के अनुसार ही रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए जिससे आपकी कुंडली में होने वाले विभिन्न प्रकार के दोष तथा आपके जीवन में होने वाले विभिन्न प्रकार की समस्याएं ठीक हो सके। आधुनिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के विभिन्न समस्याओं से गुजरता रहता है, कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनको बहुत कोशिश करने के पश्चात भी व्यक्ति उनका हल नहीं खोज पाता है, जिसके कारण उसको अपने जीवन में विभिन्न तकलीफों का सामना करना पड़ता है, किंतु यदि वह व्यक्ति भगवान शिव की शरण में जाता है और अपनी समस्या के अनुसार किसी ज्योतिषी की सलाह से रुद्राक्ष धारण करता है, तो भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं रुद्राक्ष धारण करना तथा भगवान शिव की भक्ति करना बहुत ही आसान है, किंतु रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए जिसके कारण रुद्राक्ष की ऊर्जा समाप्त हो जाती है और रुद्राक्ष निष्क्रिय हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति को रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए यदि आपने रुद्राक्ष धारण किया है तो आपको निम्नलिखित कार्य कभी भी नहीं करना चाहिए जिससे कि आपको रुद्राक्ष का लाभ प्राप्त होता रहे।

  • गले में रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात मांस मदिरा का प्रयोग ना करें।
  • शवयात्रा के समय रुद्राक्ष ना धारण करें।
  • राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करें।
  • टूटे तथा छतिग्रस्त रुद्राक्ष ना धारण करें।
  • सूतक में रुद्राक्ष धारण करें।
  • सोते समय रुद्राक्ष उतार दें।
  • महिलाएं प्रसव तथा पीरियड्स के समय रुद्राक्ष ना धारण करें।
  • संभोग क्रिया के समय रुद्राक्ष ना धारण करें।

रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात मांस मदिरा का प्रयोग ना करें

गले में रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात मांस मदिरा का प्रयोग ना करें

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में मांस मदिरा तथा शराब का सेवन करना वर्जित माना जाता है, फिर भी बहुत सारे लोग जो धार्मिक मान्यताओं को नहीं मानते हैं। वह मांस, मदिरा तथा शराब का सेवन करते हैं किंतु जो लोग किसी भी देवी देवता की पूजा करते हैं या फिर हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने जीवन का निर्वाह करते हैं, तो ऐसे लोग जीव हत्या से दूर रहते हैं तथा शराब आदि का सेवन नहीं करते हैं। मांस मदिरा शराब आदि को तामशी प्रकृति वाले व्यक्तियों का भोजन बताया गया है, इसलिए साधारण व्यक्ति को फल तथा कंदमूल के साथ-साथ केवल अनाजों पर निर्भर रहना चाहिए अर्थात हिंदू धर्म में शाकाहार को ही भोजन माना गया है, इसलिए यदि आप भगवान शिव के भक्त हैं या अपने विभिन्न प्रकार के समस्याओं से बचने के लिए रुद्राक्ष धारण किया है या करना चाहते हैं, तो आपको शाकाहारी भोजन अपनाने की आवश्यकता है। आपको मांस मदिरा तथा शराब का सेवन नहीं करना है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको कोई भी रुद्राक्ष धारण करने का लाभ प्राप्त नहीं होगा क्योंकि रुद्राक्ष में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से समाप्त हो जाती है। इसलिए यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं तो आपको शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए तथा भगवान शिव की भक्ति करनी चाहिए। 

शवयात्रा के समय गले में रुद्राक्ष ना धारण करें

शवयात्रा के समय रुद्राक्ष ना धारण करें

ऐसा माना जाता है कि जहां पर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो चलो आत्मा शरीर को छोड़कर जाती है तो उसके साथ साथ उस शरीर की सकारात्मक ऊर्जा भी चली जाती है अर्थात व्यक्ति के मृत शरीर में केवल नकारात्मक ऊर्जा होती है। इसलिए मृत शरीर को घर से बाहर रखा जाता है और बहुत कम समय तक ही उसे घर के आसपास या जहां पर लोग रहते हैं, वहां पर रखने की अनुमति दी जाती हैं क्योंकि शरीर में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा आसपास के वातावरण को भी नकारात्मक परिवेश में परिवर्तित करना प्रारंभ कर देती है इसलिए मृत शरीर को सिगरेट अपना दिया जाता है या फिर उसे अग्नि के सहारे पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है। जब आप किसी भी शव यात्रा में रुद्राक्ष धारण करके जाते हैं, तो वहां पर बहुत अधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा होने के कारण रुद्राक्ष की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है, जिससे रुद्राक्ष का महत्व तथा शक्ति कम होने लगती है। इसलिए रुद्राक्ष की पवित्रता तथा शक्ति को बनाए रखने के लिए जब भी किसी शवयात्रा में जाएं तो रुद्राक्ष को उतारकर किसी शुद्ध स्थान में टांग दें और वापस आकर स्नान आदि करके पुनः रुद्राक्ष को धारण कर लें शव यात्रा के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए, इससे रुद्राक्ष का प्रभाव कम हो जाता है। यदि आप एक शिव भक्त हैं और अपने जीवन विभिन्न प्रकार के समस्याओं को समाप्त करने के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो आपको रुद्राक्ष धारण कर कभी भी शमशान घाट या तो यात्रा में नहीं जाना चाहिए, इससे रुद्राक्ष में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा की क्षती होती है जिससे रुद्राक्ष का प्रभाव कम हो जाता है और आपको रुद्राक्ष धारण करने के पर्याप्त लाभ प्राप्त नहीं होते हैं।

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राशि के अनुसार गले में रुद्राक्ष धारण करें

राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करें

पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं जिनको अलग-अलग कार्यों की सिद्धि के लिए धारण किया जाता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली तथा राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है, प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अलग-अलग समस्याओं के लिए रुद्राक्ष धारण करता है, इसलिए अलग-अलग समस्या के लिए व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है और यदि आपकी कुंडली में किसी विशेष प्रकार का दोष है तो उसे किसी ज्योतिषी की सहायता से जानकारी करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए कभी भी अपनी राशि के विपरीत रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए, क्योंकि यदि आप अपनी राशि के विपरीत कोई रुद्राक्ष धारण करते हैं तो आपको कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होगा क्योंकि रुद्राक्ष में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा तथा अन्य देवी देवताओं की कृपा आप पर नहीं होती है या फिर जिस क्षेत्र में आप लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, उस क्षेत्र में आपको लाभ प्राप्त नहीं होता है जिससे आप का रुद्राक्ष धारण करना व्यर्थ हो जाता है। आप निम्नलिखित राशियों के अनुसार अलग-अलग प्रकार से निम्नलिखित रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं

  • कन्या राशि – चार मुखी, पांच मुखी और तेरह मुखी।
  • तुला राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष।
  • वृश्चिक राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष।
  • धनु राशि – एक मुखी, तीन मुखी या पांच मुखी रुद्राक्ष।
  • मकर राशि – चार मुखी, छह मुखी अथवा चौदह मुखी रुद्राक्ष।
  • कुंभ राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष।
  • मीन राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष।
  • मेष राशि – एक मुखी, तीन मुखी या फिर पांच मुखी रुद्राक्ष।
  • वृष राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष।
  • मिथुन राशि – चार मुखी, पांच मुखी और तेरह मुखी रुद्राक्।
  • कर्क राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष।
  • सिंह राशि – एक मुखी, तीन किया मुखी और पांच मुखी रुद्राक्ष।

टूटे तथा छतिग्रस्त गले में रुद्राक्ष ना धारण करें

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के विभिन्न प्रकार के समस्याओं को दूर करने के लिए तथा अपने जीवन में सुख समृद्धि तथा शांति प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष धारण करता है, क्योंकि रुद्राक्ष में सकारात्मक ऊर्जा होती है, इसलिए व्यक्ति को इसके सकारात्मक रखो दिखाई देते हैं और व्यक्ति अपने जीवन में होने वाले विभिन्न प्रकार के समस्याओं तथा असफलता मैं लाभ प्राप्त करता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है किंतु रुद्राक्ष धारण करते समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें मुख्य रुप से ध्यान रखने योग्य बात है कि जो रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं। वह टूटा फूटा या छतिग्रस्त नहीं होना चाहिए अर्थात जो रुद्राक्ष आपने धारण करने के लिए सोच रखा है, वह बिल्कुल शुद्धता था नया रुद्राक्ष होना चाहिए वह कहीं से भी टूटा फूटा या अन्य किसी प्रकार से क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए क्योंकि रुद्राक्ष के टूटने तथा क्षतिग्रस्त होने के पश्चात उस में विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाते हैं। जिसके पश्चात रुद्राक्ष मात्रक मनका रह जाता है रुद्राक्ष को क्षतिग्रस्त होने के पश्चात उसे खंडित रुद्राक्ष कहा जाता है और कोई भी रुद्राक्ष यदी खंडित हो जाता है, तो वह धारण करने योग्य नहीं रहता है। इसलिए रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करने तथा अपने जीवन से सभी प्रकार के समस्याओं को दूर करने के लिए यदि आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो आप शुद्ध तथा अखंडित रुद्राक्ष धारण करने की आवश्यकता है और किसी का दिया हुआ या फिर कहीं से प्राप्त रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष हमेशा अपने पैसों से खरीद कर तथा वेतन तथा ग्रंथों में बताए गए विधि द्वारा या ज्योतिषी द्वारा बताई गई नियम तथा विधि द्वारा है रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इससे आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके कार्य सिद्ध होते हैं।

सूतक में रुद्राक्ष धारण करें

यदि आपने अपने कार्यों की स्थिति के लिए रुद्राक्ष धारण किया है और आपके घर या परिवार मैं अचानक किसी की मृत्यु हो जाती है, तो आपको रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए क्योंकि यह समय सूतक काल कहलाता है जो एक अशुभ समय होता है और ऐसे समय में रुद्राक्ष धारण करना या कोई शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। इसलिए यदि आपके घर में सूतक काल चल रहा है तो आपको रुद्राक्ष उतार कर रख देना चाहिए क्योंकि सूतक काल में आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक रहता है, जिसके कारण रुद्राक्ष की शक्तियां समाप्त होने लगती हैं क्योंकि रुद्राक्ष में जो भी शक्तियां होती हैं, वे शक्तियां रुद्राक्ष में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा के कारण कार्य करती हैं और जब सूतक काल होने के कारण रुद्राक्ष पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है, तो सकारात्मक ऊर्जा समाप्त होने लगती है जिससे रुद्राक्ष का प्रभाव कम होने लगता है। इसलिए रुद्राक्ष से मिलने वाले लाभ कम हो जाते हैं यदि आप लंबे समय तक रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको रुद्राक्ष को लंबे समय तक सक्रिय रखने की आवश्यकता है। रुद्राक्ष को सक्रिय रखने के लिए आवश्यक है कि रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात कुछ विशेष प्रकार के नियमों का पालन करें तथा ऐसे स्थान पर रुद्राक्ष को धारण करके ना जाए जहां पर बहुत अधिक नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो इसलिए रुद्राक्ष को हमेशा शुद्ध रखने के लिए सूतक काल में रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए, आपके घर में किसी की मृत्यु से लेकर लगभग 13 दिनों तक का सूतक काल होता है, तो इस समय रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए उसके पश्चात पुनः विधि-विधान द्वारा शुद्ध होकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

सोते समय रुद्राक्ष उतार दें

गले में रुद्राक्ष

यदि आपको रात को सोते समय किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है और आपने सामान्य परिस्थितियों के लिए गले में रुद्राक्ष धारण कर रखा है, तो आपको रात को सोते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए किंतु यदि आपने रात को आने वाले सपनों से बचने के लिए या रात को सोते समय किसी प्रकार की समस्या से बचने के लिए रुद्राक्ष धारण किया है, तो आपको रुद्राक्ष नहीं उतारना चाहिए यदि आपने सामान्य परिस्थितियों के लिए रुद्राक्ष धारण किया है, तो निश्चित ही रुद्राक्ष पर लंबे समय तक सक्रिय बनाए रखने के लिए रुद्राक्ष को रात को सोते समय उतार देना चाहिए क्योंकि रुद्राक्ष में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो सोते समय निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित होती है अर्थात व्यक्ति जब रात को सोता है, तो उसके शरीर से नकारात्मक ऊर्जा निकलती है जो उसके आसपास की वस्तुओं को प्रभावित करती हैं जिसके कारण यदि आप सोते समय रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो उस नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव और रुद्राक्ष के ऊपर भी पड़ता है जिससे रुद्राक्ष में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा नकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जिससे रुद्राक्ष का प्रभाव समाप्त होने लगता है। इसलिए रुद्राक्ष को लंबे समय तक प्रभावी बनाए रखने के लिए तथा रुद्राक्ष के लाभ प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष को सक्रिय रखना बहुत ही आवश्यक होता है। इसलिए रात को सोते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए इससे आपका रुद्राक्ष सक्रिय बना रहता है और रुद्राक्ष में विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है जो आपको लाभ प्रदान करते हैं। 

महिलाएं प्रसव तथा पीरियड्स के समय रुद्राक्ष ना धारण करें

महिलाओं के शरीर से प्रसव तथा पीरियड्स के समय निकालने वाले अपशिष्ट द्रव्य को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए जब महिलाएं प्रस्ताव या पीरियड्स में होती हैं, तो उनको अशुद्ध माना जाता है। इसलिए ऐसे समय में रुद्राक्ष ना धारण करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि रुद्राक्ष धारण करने से रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है, जिससे रुद्राक्ष में विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है और रुद्राक्ष धारण करने की हमें कोई लाभ प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिलाओं को सलाह दी जाती है कि रुद्राक्ष को लंबे समय तक सक्रिय बनाए रखने के लिए तथा रुद्राक्ष में विद्यमान ऊर्जा को बनाए रखने के लिए जिस समय उनको पीरियड्स आने वाले होते हैं या फिर प्रसव के समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए और उतारने के पश्चात किसी ऐसे ऊंचे शुद्ध स्थान पर रखना चाहिए, जहां पर रुद्राक्ष को कोई छू ना सके जिससे रुद्राक्ष शुध्द बना रहे और आपको रुद्राक्ष धारण करने के लाभ प्राप्त होते रहें। 

संभोग क्रिया के समय रुद्राक्ष ना धारण करें

जब कोई महिला या पुरुष एक-दूसरे के साथ संभोग क्रिया करते हैं तो उनके मध्य होने वाले संभोग क्रिया को अपवित्र माना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संभोग 1 आपवित्र कार्य है, जिसे साधु सन्यासी भक्तों को नहीं करना चाहिए। इसलिए यदि आप ऐसा करते हैं, तो उस समय आपको रुद्राक्ष उतार देना चाहिए क्योंकि संभोग क्रिया के कारण रुद्राक्ष अपवित्र हो जाता है, जिससे रुद्राक्ष की सक्रियता समाप्त होने लगती है और धीरे-धीरे रुद्राक्ष निष्क्रिय हो जाता है, जिसके कारण रुद्राक्ष धारण करने के लाभ प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिला या पुरुष किसी को भी सेक्स क्रिया या संभोग क्रिया के समय रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए, शारीरिक संबंध स्थापित करते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए तथा उसके पश्चात स्नान आदि करके पुनः रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

गले में रुद्राक्ष धारण करने से प्राप्त होने वाले लाभ

गले में रुद्राक्ष

पृथ्वी पर अपना रुद्राक्ष ईश्वरीय शक्तियां और सामान्य समस्याओं तथा बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करता है रुद्राक्ष में जितना अधिक मात्रा में ईश्वरीय शक्तियां पाए जाते हैं, जिसके कारण यह में जादू, टोना तथा भूत प्रेत की समस्या से बचाता है उससे अधिक आयुर्वेदिक औषधि गुण पाए जाते हैं जिसके कारण रुद्राक्ष हमारे शरीर में होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों को भी दूर करता है, इसके अलावा रुद्राक्ष में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा मानसिक समस्याओं को दूर करने में सहयोग करती है। इस प्रकार रुद्राक्ष को एक उत्तम लाभ प्रदान करने वाला माना जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के समस्याओं से लाभ प्राप्त होता है। इसलिए व्यक्ति रुद्राक्ष को लाभ प्राप्त करने के लिए ही धारण करते हैं। रुद्राक्ष को निम्नलिखित लाभ प्राप्त करने के लिए धारण किया जा सकता है

  • जन्म कुंडली में यदि ग्रहों का प्रभाव अशुभ है या कुंडली में राहु की दशा खराब चल रही है तो इसे ठीक करने के लिए रुद्राक्ष धारण किया जाता है।
  • राजनीतिक, प्रशासनिक, सेवाएं तथा नौकरी करने वाले रुद्राक्ष अवश्य धारण करें इससे उनके जीवन में तरक्की होती है और उनका जीवन खुशहाल रहता है।
  • शरीर में विभिन्न प्रकार के रोगों को समाप्त करने के लिए या शारीरिक समस्याओं के समापन के लिए रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।
  • Rudraksha धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है मानसिक तनाव दूर होता है जिसके कारण व्यक्ति मृत्यु के भय से दूर रहता है।
  • रुद्राक्ष को धारण करने से संदेह, क्रोध तथा मानसिक तनाव दूर हो जाता है।
  • रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात व्यक्ति हमेशा ऊर्जावान तथा नवयुवक बना रहता है।
  • रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र में यश, सम्मान तथा सफलता प्राप्त होती है।
  • दिल तथा नेत्र रोग की कमजोरी तथा स्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियों को दूर रखता है। 
  • इसको धारण करने से व्यक्ति के अंदर नेतृत्व करने की भावना का विकास होता है जिससे वह अपने जीवन में सफलता हासिल करता है। 
  • रुद्राक्ष धारण करने से दूसरों पर आपके निर्भरता समाप्त हो जाती है जिससे आप स्वतंत्र जीवन व्यतीत करते हैं।
  • रुद्राक्ष धारण करने से आपके शत्रु आप से पराजित रहते हैं और रुद्राक्ष आपके शत्रुओं से आपकी रक्षा करता है। 
  • Rudraksha धारण करने से जीवन से गरीबी, दरिद्रता आदि नष्ट होती है तथा आत्मनिर्भर बनकर जीवन व्यतीत करने का अवसर प्रदान करता है। 
  • शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होने से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
  • अस्थमा और खांसी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से छुटकारा प्राप्त होता है।
  • थायराइड की समस्या होने पर थायराइड हार्मोन को संतुलित करने के लिए Rudraksha प्रयोग किया जाता है।
  • Rudraksha धारण करने से ब्रोंकाइटिस तथा बुखार में लाभ प्राप्त होता है।
  • स्वसन तंत्र तथा फेफड़ों को स्वस्थ रखने में Rudraksha मदद करता है।
  • रुद्राक्ष धारण करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जिसके कारण संक्रामक रोगों से छुटकारा प्राप्त होता है।
  • विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव तथा अन्य विभिन्न प्रकार के मानसिक समस्याएं इसे धारण करने से समाप्त हो जाती हैं।
  • नजर, दोष लगने के कारण जो बच्चे बार-बार बीमार होते हैं उनको Rudraksha धारण करने की सलाह दी जाती है। 

निष्कर्ष

रुद्राक्ष पृथ्वी पर एक ऐसा पदार्थ है जो हमें सभी प्रकार से लाभ प्रदान करता है, इसके हमें कोई भी नुकसान नहीं होते हैं। यदि इसे सही तरीके से प्रयोग किया जाए तो इसलिए रुद्राक्ष को भगवान का वरदान माना जाता है, हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे भगवान शिव का हम सभी माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न अलग-अलग प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं। किंतु यदि सामान्य तौर पर देखा जाए तो रुद्राक्ष हमें प्राकृतिक शारीरिक तथा मानसिक सभी प्रकार की समस्याओं से बचाता है, इसलिए इसे प्रकृति का दिया हुआ वरदान माना जा सकता है, किंतु यदि आप रुद्राक्ष धारण किए हैं और आप भद्राक्ष के लाभ प्राप्त कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष पहनने के पश्चात कुछ अनैतिक कार्यों को नहीं करना चाहिए। इसलिए अगर पहन रहे हैं गले में रुद्राक्ष तो ना करें यह गलती जो उपरोक्त लेख में बताई गई हैं, यदि आप उपरोक्त लेख में बताएंगे गलती को नहीं दोहराते हैं या नहीं करते हैं तो निश्चित रूप से ही रुद्राक्ष आपको लंबे समय तक लाभ प्रदान करता है और आप को सुख समृद्धि तथा स्वस्थ बनाता है। आपकी सफलता के सभी रास्ते रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात खुल जाते हैं।

लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न

रुद्राक्ष पहनकर क्या नहीं करना चाहिए?

रुद्राक्ष पहन कर ऐसे कार्यों को नहीं करना चाहिए जो अधार्मिक होते हैं तथा उनको करने से हमारा शरीर अपवित्र हो जाता है या हमारा मन अपवित्र हो जाता है, उपरोक्त लेख में विभिन्न प्रकार के कार्य बताए गए हैं, जो रुद्राक्ष पहन कर के नहीं करना चाहिए। इसलिए यदि आप रुद्राक्ष पहनकर कौन-कौन से कार्य नहीं करना चाहिए की जानकारी लेना चाहते हैं तो उपरोक्त लेख का अध्ययन कर सकते हैं।

रुद्राक्ष को गले में कैसे पहने?

गले में रुद्राक्ष को धारण करने के लिए उसको माला बनाकर धारण किया जा सकता है, रुद्राक्ष की माला बनाने के लिए 108 रुद्राक्ष का प्रयोग करना चाहिए और इसे लाल धागे में पिरो कर माला बनाई जा सकती है, इसके अलावा सोने चांदी के आभूषण में भी रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है, किंतु यदि आप रुद्राक्ष की माला धारण करना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि इसमें 108 रुद्राक्ष होने चाहिए।

रुद्राक्ष अशुद्ध कब होता है?

जब हम किसी ऐसे कार्य को रुद्राक्ष धारण करके करते हैं जिन्हें रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात नहीं करना चाहिए तो रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है, जिसके पश्चात रुद्राक्ष के ऊर्जा में कमी आती है और रुद्राक्ष धीरे-धीरे कार्य करना बंद कर देता है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जो रुद्राक्ष को अशुद्ध कर देते हैं।

क्या मैं इस्तेमाल किया हुआ रुद्राक्ष पहन सकता हूं?

किसी का इस्तेमाल किया हुआ रुद्राक्ष या कहीं से पड़ा मिला रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए क्योंकि मैं दूसरे व्यक्ति के शरीर की ऊर्जा संचित होती है जो आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए कभी भी किसी दूसरे का प्रयोग किया हुआ रुद्राक्ष या दूसरे का खरीदा हुआ रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए रुद्राक्ष धारण करने के लिए सदैव अपने पैसे से ही रुद्राक्ष खरीदना चाहिए।

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